Class 10 Science Chapter 16 Notes in Hindi | प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

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Class 10 Science Chapter 16 Notes in Hindi : covered science Chapter 16 easy language with full details details & concept  इस अद्याय में हमलोग जानेंगे कि – प्राकृतिक संसाधन किसे कहते है, प्राकृतिक संसाधन के कितने प्रकार होते है, प्रदुषण किसे कहते है, प्रदुषण के प्रकार कितने होते है, पर्यावरण समस्याएँ क्या क्या है, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन किसे कहते है, संपोषित विकास क्या है किसे कहते है, जैव विविधता किसे कहते है, जीवाश्म ईंध किसे कहते है, जीवाश्म ईंध के क्या कार्य है यह कितने प्रकार के होते है?

Class 10 Science Chapter 16 Notes in Hindi full details

category  Class 10 Science Notes in Hindi
subjects  science
Chapter Name Class 10 sustainable management of natural resources (प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन)
content Class 10 Science Chapter 16 Notes in Hindi
class  10th
medium Hindi
Book NCERT
special for Board Exam
type readable and PDF

NCERT class 10 science Chapter 16 notes in Hindi

विज्ञान अद्याय 16 सभी महत्पूर्ण टॉपिक तथा उस से सम्बंधित बातों का चर्चा करेंगे।


विषय – विज्ञान  अध्याय – 16

प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

sustainable management of natural resources


प्राकृतिक संसाधन :-

वे संसाधन जो हमें प्रकृति ने दिए हैं और जीवों के द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं । जैसे :- मिट्टी , वायु , जल , कोयला , पेट्रोलियम , वन्य जीवन , वन ।

प्राकृतिक संसाधन के प्रकार :-

समाप्य संसाधन
असमाप्य संसाधन
समाप्य संसाधन :- ये बहुत सीमित मात्रा में पाए जाते हैं और समाप्त हो सकते हैं । उदाहरण :- कोयला , पेट्रोलियम ।

असमाप्य संसाधन :- ये असीमित मात्रा में पाए जाते हैं व समाप्त नहीं होंगे । उदाहरण :- वायु ।

प्रदूषण :-

प्राकृतिक संसाधनों का दूषित होना प्रदुषण कहलाता है ।

प्रदुषण के प्रकार :-

जल प्रदुषण
मृदा प्रदूषण
वायु प्रदुषण
ध्वनि प्रदूषण

पर्यावरण समस्याएँ :-

पर्यावरण समस्याएँ वैश्विक समस्याएँ हैं तथा इनके समाधान अथवा परिवर्तन में हम अपने आपको असहाय पाते हैं । इनके लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं विनियमन हैं तथा हमारे देश में भी पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक कानून हैं । अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य कर रहे हैं ।

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन :-

प्राकृतिक संसाधनों को बचाए रखने के लिए इनके प्रबंधन की आवश्यकता होती है ताकि यह अगली कई पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सके और संसाधनों का शोषण न हो ।

पर्यावरण को बचाने के लिए राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय अधिनियम हैं ।

प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन की आवश्यकता :-

ये बहुत ही सीमित हैं ।
प्राकृतिक संसाधनों के संपोषित विकास लिए ।
विविधता को बचाने के लिए ।
पारिस्थितिक तंत्र को बचाने के लिए ।
प्राकृतिक संसाधनों को दूषित होने से बचाने के लिए ।
संसाधनों को समाज के सभी वर्गों में उचित वितरण और शोषण से बचाना ।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण जनसंख्या में वृद्धि हो रही है और इसके कारण सभी संसाधनों की मांग में भी वृद्धि हो रही है ।

संसाधनों के दोहन का अर्थ :-

जब हम संसाधनों का अंधाधुन उपयोग करते है तो बडी तीव्रता से प्रकृति से इनका हारास होने लगता है । इससे हम पर्यावरण को क्षति पहुँचाते है ।

जब हम खुदाई से प्राप्त धातु कर निष्कर्षण करते है तो साथ ही साथ अपशिष्ट भी प्राप्त होता है जिनका निपटारा नहीं करने पर पर्यावरण को प्रदूषित करता है । जिसके कारण बहुत सी प्राकृतिक आपदाएँ होती रहती है । ये संसाधन हमारे ही नहीं अपितु अगली कई पिढियों के भी है ।

गंगा कार्य परियोजना :-

यह कार्ययोजना करोड़ों रूपयों का एक प्रोजेक्ट है । इसे सन् 1985 में गंगा स्तर सुधारने के लिए बनाया गया ।

जल की गुणवत्ता या प्रदूषण मापन हेतु कुछ कारक :-

जल का pH जो आसानी से सार्व सूचक की मदद से मापा जा सकता है ।
जल में कोलिफार्म जीवाणु ( जो मानव की आंत्र में पाया जाता है ) की उपस्थिति जल का संदूषित होना दिखाता है 

पर्यावरण को बचाने के लिए पाँच प्रकार के R :-

इनकार :- इसका अर्थ है कि जिन वस्तुओं की आपको आवश्यकता नहीं है , उन्हें लेने से इनकार करना । उदाहरण :- सामान खरीदते समय प्लास्टिक थैली को मना करना व अपने स्वयं के थैले में सामान डालो ।

कम उपयोग :- इसका अर्थ है कि आपको कम से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए । उदाहरण :-

आवश्यकता न होन पर पंखे व बल्ब का स्विच बंद करना ।
टपकते नल को ठीक करना ।
भोजन को न फेंकना ।
पुनः उपयोग :- पुनः उपयोग के तरीके में आप किसी वस्तु का बार – बार उपयोग करते हैं । उदाहरण :-

जिस पानी से फल व सब्जी धोए है उसे पौधों में डाल देना
कपड़े धोने के बाद बचे पानी से फर्श व गाड़ी साफ करना ।
पुनः प्रयोजन :- इसका अर्थ यह है कि जब कोई वस्तु जिस उपयोग के लिए बनी है जब उस उपयोग में नहीं लाई जा सकती है तो उसे किसी अन्य उपयोगी कार्य के लिए प्रयोग करें । उदाहरण :- टूटे – फूटे चीनी मिट्टी के बर्तनों में पौधे उगाना ।

पुनः चक्रण :- इसका अर्थ है कि आपको प्लास्टिक , कागज़ , काँच , धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थों का पुनःचक्रण करके उपयोगी वस्तुएँ बनानी चाहिए । उदाहरण :- प्लास्टिक , काँच , धातु आदि को कबाड़ी वाले को दे ।

नोट :- पुनः इस्तेमाल / उपयोग , पुनः चक्रण से बेहतर है क्योंकि इसमें ऊर्जा की बचत होती है ।

संपोषित विकास :-

संपोषित विकास की संकल्पना मनुष्य की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति और विकास के साथ – साथ भावी संतति के लिए संसाधनों का संरक्षण भी करती है ।

संपोषित विकास का उदेश्य :-

मनुष्य की वर्तमान आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं विकास को प्रोत्साहित करना ।
पर्यावरण को नुकसान से बचाना और भावी पीढ़ी के लिए संसाधनों का संरक्षण करना ।
पर्यावरण संरक्षण के साथ – साथ आर्थिक विकास को बढ़ाना ।

प्राकृतिक संसाधनों की व्यवस्था करते समय ध्यान देना योग्य :-

दीर्घकालिक दृष्टिकोण – ये प्राकृतिक संसाधन भावी पीढ़ियों तक उपलब्ध हो सके ।
इनका वितरण सभी समूहों में समान रूप से हो , न कि कुछ प्रभावशाली लोगों को ही इसका लाभ हो ।
अपशिष्टों के सुरक्षित निपटान का भी प्रबन्ध होना चाहिए ।

वन्य एवं वन्य जीवन संरक्षण :-

वन , जैव विविधता के तप्त स्थल हैं । जैव विविधता को संरक्षित रखना प्राकृतिक संरक्षण के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है क्योंकि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व नष्ट हो सकता है ।

जैव विविधता :-

जैव विविधता किसी एक क्षेत्र में पाई जाने वाली विविध स्पीशीज की संख्या है जैसे पुष्पी पादप , पक्षी , कीट , सरीसृप , जीवाणु आदि ।

तप्त स्थल :-

ऐसा क्षेत्र जहाँ अनेक प्रकार की संपदा पाई जाती है ।

दावेदार :-

ऐसे लोग जिनका जीवन , कार्य किसी चीज पर निर्भर हो , वे उसके दावेदार होते हैं ।

वनों के दावेदार :-

स्थानीय लोग :- वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी अनेक आवश्यकताओं के लिए वन पर निर्भर रहते हैं ।

सरकार और वन विभाग :- सरकार और वन विभाग जिनके पास वनों का स्वामित्व है तथा वे वनों से प्राप्त संसाधनों का नियंत्रण करते हैं 

वन उत्पादों पर निर्भर व्यवसायी :- ऐसे छोटे व्यवसायी जो तेंदु पत्ती का उपयोग बीड़ी बनाने से लेकर कागज मिल तक विभिन्न वन उत्पादों का उपयोग करते हैं , परंतु वे वनों के किसी भी एक क्षेत्र पर निर्भर नहीं करते ।

न्य जीव और पर्यावरण प्रेमी :- वन जीवन एवं प्रकृति प्रेमी जो प्रकृति का संरक्षण इसकी आद्य अवस्था में करना चाहते हैं ।

कुछ ऐसे उदाहरण जहाँ निवासियों ने वन संरक्षण में मुख्य भूमिका निभाई है ।

खेजरी वृक्ष :-

अमृता देवी विश्नोई ने 1731 में राजस्थान के जोधपुर के एक गाँव में खेजरी वृक्षों को बचाने के लिए 363 लोगों के साथ अपने आप को बलिदान कर दिया था ।

भारत सरकार ने जीव संरक्षण के लिए अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा की जो उनकी स्मृति में दिया जाता है ।

चिपको आंदोलन :-

यह आंदोलन गढ़वाल के ‘ रेनी ‘ नाम के गाँव में हुआ था । वहाँ की महिलाएँ उसी समय वन पहुँच गईं जब ठेकेदार के आदमी वृक्ष काटने लगे थे । महिलाएँ पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गईं और ठेकेदार के आदमियों को वृक्ष काटने से रोक लिया ।

यह आंदोलन तीव्रता से बहुत से समुदायों में फैल गया और सरकार को वन संसाधनों के उपयोग के लिए प्राथमिकता निश्चित करने पर पुनः विचार करने पर मजबूर कर दिया ।

पश्चिम बंगाल के वन विभाग :-

पश्चिम बंगाल के वन विभाग ने क्षयित हुए साल के वृक्षों को अराबाड़ी वन क्षेत्र में नया जीवन दिया ।

सभी के लिए जल :-

जल पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों की मूलभूत आवश्यकता है ।
वर्षा हमारे लिए जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है ।
भारत के कई क्षेत्रों में बाँध , तालाब और नहरें सिंचाई के लिए उपयोग किए जाते हैं ।

बांध :-

बांध में जल संग्रहण काफी मात्रा में किया जाता है जिसका उपयोग सिंचाई में ही नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन में भी किया जाता है ।

कई बड़ी नदियों के जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बांध बनाए गए हैं ; जैसे :-

टिहरी बांध :- नदी भगीरथी ( गंगा )
सरदार सरोवर बांध :- नर्मदा नदी
भाखड़ा नांगल बांध :- सतलुज नदी ।

बांधों के लाभ :-

सिंचाई के लिए पर्याप्त जल सुनिश्चित करना ।
विद्युत उत्पादन ।
क्षेत्रों में जल का लगातार वितरण करना ।

बांधों से हानियाँ :-

सामाजिक समस्याएँ :-

बड़ी संख्या में किसान एवं आदिवासी विस्थापित होते हैं ।
उन्हें मुआवजा भी नहीं मिलता ।
पर्यावरण समस्याएँ :-

वनों का क्षय होता है ।
जैव विविधता को हानि होती है ।
पर्यावरण संतुलन बिगड़ता है ।
आर्थिक समस्याएँ :-

जनता का अत्यधिक धन लगता है ।
उस अनुपात में लाभ नहीं होता ।

जल संग्रहण :-

इसका मुख्य उद्देश्य है भूमि एवं जल के प्राथमिक स्रोतों का विकास करना ।

वर्षा जल संचयन :-

वर्षा जल संचयन से वर्षा जल को भूमि के अंदर भौम जल के रूप में संरक्षित किया जाता है ।

जल संग्रहण भारत में बहुत प्राचीन संकल्पना है ।

भौम जल के रूप में संरक्षण के लाभ :-

पानी का वाष्पीकरण नहीं होता ।
यह कुओं को भरता है ।
पौधों को नमी पहुँचाता है ।
मच्छरों के जनन की समस्या नहीं होती ।
यह जंतुओं के अपशिष्ट के संदूषण से सुरक्षित रहता है ।

कोयला और पेट्रोलियम :-

कोयला और पेट्रोलियम अनविकरणीय प्राकृतिक संसाधन हैं । इन्हें जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं ।

निर्माण :-

कोयला :- 300 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी में वनस्पति अवशेषों के अपघटन से कोयले का निर्माण हुआ ।
पेट्रोलियम :- पेट्रोलियम का निर्माण समुद्र में रहने वाले जीवों के मृत अवशेषों के अपघटन से हुआ । यह अपघटन उच्च दाब और उच्च ताप के कारण हुआ और पेट्रोलियम के निर्माण में लाखों वर्ष लगे ।
कोयला और पेट्रोल भविष्य में समाप्त हो जायेंगे ।

कोयला :- वर्तमान दर से प्रयोग करने पर कोयला अगले 200 वर्ष तक ही उपलब्ध रह सकता है ।
पेट्रोलियम :- वर्तमान दर से प्रयोग करने पर पेट्रोलियम केवल अगले 40 वर्षों तक ही मिलेगा ।

जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से होने वाली हानियाँ :-

वायु प्रदूषण :- कोयले और हाइड्रोकार्बन के दहन से बड़ी मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड , कार्बन डाइऑक्साइड , नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्पन्न होती हैं जो वायु को प्रदूषित करती हैं ।

बीमारियाँ :- यह प्रदूषित वायु कई प्रकार की श्वसन समस्याएँ उत्पन्न करती है और कई रोग । जैसे :- दमा , खाँसी का कारण बनती हैं ।

वैश्विक ऊष्मण :- जीवाश्म ईंधनों के दहन से CO , गैस उत्पन्न होती है जो ग्रीन हाउस गैस है और विश्व ऊष्मणता उत्पन्न करती है ।

जीवाश्म ईंधनों के प्रयोग में मितव्ययता बरतनी चाहिए क्योंकि :-

ये समाप्य और सीमित हैं ।
एक बार समाप्त होने के बाद ये निकट भविष्य में उपलब्ध नहीं हो पायेंगे क्योंकि इनके निर्माण की प्रक्रिया बहुत ही धीमी होती है और उसमें कई वर्ष लगते हैं ।

जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को सीमित करने के उपाय :-

जिन विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं हो रहा हो उनका स्विच बंद करें ।
घरों में CFL का उपयोग करें जिस से बिजली की बचत हो ।
निजी वाहन की अपेक्षा सार्वजनिक यातायात का प्रयोग करना ।
लिफ्ट की अपेक्षा सीढ़ी का उपयोग करना ।
जहाँ हो सके सोलर कुकर का प्रयोग करना ।


Class 10 science Chapter 16  Important Question Answer

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1: अपने घर को पर्यावरण – मित्र बनाने के लिए आप उसमे कौन -कौन परिर्वतन सुझा सकतें हैं?
उत्तर :-

कम उपयोग – इसका अर्थ हैं की आपको कम, से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए करना चाहिए ; जैसे – बिजली के पंखे एवचं बल्ब का स्विच बंद कर देना , खराब नल की मरम्मत करना , ताकि जल व्यर्थ टपके आदि |
पुन : चक्रण – इसका अर्थ हैं की आपको प्लास्टिक , कागज और धातु की वस्तुओ को कचरे में नही फेकना चाहिए बल्कि उनका उपयोग करना चाहिए |
पुनः उपयोग – यह पुन : चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि उसमे भी कुछ ऊर्जा व्यय होती है |इसमें हम किसी वस्तु का उपयोग बार – बार कर सकते है |
प्रश्न 2: इस अध्याय हमने देखा की जब वन हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं | इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं आप ऐसा क्यों सोचते हैं ?
उत्तर :-
वन एवं वन्य जन्तुओं के चारों दावेदारों में से वन के अन्दर एवं इसकेनिकते रहने वाले स्थानीय लोग सर्वाधिक उपयुक्त हैं , क्योकिं वे सदियों से वनों का उपयोग संपोषित तरीकों से करते चले आ रहे हैं | वे वृक्षों के ऊपर चढ़कर कुछ शाखाएं एवं पत्तियां ही काटते हैं , जिससे समय केव साथं – साथ उनका पुन : पूरण भी होता रहता हैं | इसके अनेक प्रमाण तथा बेकार कहे जाने वाले वन मूल्य 12.5 करोड़ आँका होगा |

प्रश्न 3:- अकेले व्यकित के रूप भिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए किया कर सकते है ?
उत्तर :
प्राकृतिकं पदों की खपत कम निम्न तरीको से की जा सकती है-

CFls का प्रयोग कर |
सौर कूकर , सौर जल उष्मक का प्रयोग कर कोयले करोसीन और LPG की बचत की जा सकती हैं |
टपकने वाले नलों की मरम्मत कर हम पानी की बचत कर सकते हैं |
रेड लाइट , पर कार या एनी वाहनों को बंद करके पेट्रोल / डीजल की बचत की जा सकती हैं |
6. “चिपको आन्दोलन” का क्या कारण था ?
उत्तर :
चिपको आन्दोलन स्थानीय निवासियों को वनों से अलग करने की नीति का परिणाम था | गाँव के समीप वृक्ष काटने का अधिकार ठेकेदारों को दे दिया गया था , इसीलिए चिपको आन्दोलन हुआ |
13.प्राकृतिक संसाधन किसे कहते है ?
उत्तर :
वे सभी पदार्थ जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है तथा जिनका हम उपयोग करते है प्राकृतिक संसाधन कहलाते है |

प्रश्न 14. खनन प्रदुषण किसे कहते है ?
उत्तर :
खनन प्रदुषण इसलिए होता है क्योंकि धातु के निष्कर्षण के साथ बड़ी मात्रा में धातुमल भी निकलता है |


Class 10 science Chapter 16  Important Objective Question Answer (MCQ)

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1. वे पदार्थ जो प्रदूषण का कारण बनते हैं या जिससे पर्यावरण में आने से उसके गुणों में अवांछित परिवर्तन होते हैं वे क्या कहलाते हैं ?
(a) प्रदूषण
(b) प्रदूषक
(c) संरक्षण
(d) प्रबंधन

► (b) प्रदूषक

2. भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों में अवांछित परिवर्तन क्या कहलाता है ?
(a) प्रदूषक
(b) प्रदूषण
(c) पर्यावरण का संरक्षण
(d) प्राकृतिक संसाधन

► (b) प्रदूषण

3. गंगा कार्य योजना ,एक बहु करोड़ीय प्रोजैक्ट का आरम्भ कब किया गया ?
(a) 1972
(b) 1984
(c) 1985
(d) 1992

► (c) 1985

4. जल में कोलिफार्म जीवाणुओं की उपस्थिति जल के किस रूप के संदूषित होने की ओर संकेत करती है ?
(a) घरेलू कचरा
(b) रासायनिक प्रदूषक
(c) भौतिक प्रदूषक
(d) सीवेज जल

► (d) सीवेज जल
5. कौन सा विकास कार्य प्राकृतिक स्रोतों को बिना गवाएँ तथा पर्यावरण को बिना किसी भी प्रकार की हानि के होता है ?
(a) प्रबंधन
(b) संसोधन
(c) संपोषित
(d) संरक्षण

► (c) संपोषित

6. प्रकृति में पाए जाने वाले जन्तु ,पौधे ,उनकी प्रजातियाँ ,जिन्हें पाला या उगाया नहीं जाता वह क्या कहलाता है ?
(a) वनीकरण
(b) जैव-विविधता
(c) वन्य जीवन
(d) संरक्षण

► (c) वन्य जीवन

7. निम्न में से 3-R का क्या अर्थ है ?
(a) कम उपयोग
(b) पुन: चक्रण
(c) पुन: उपयोग
(d) उपरोक्त सभी

► (d) उपरोक्त सभी

8. गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा की कुल लम्बाई कितनी है ?
(a) 1500 कि.मी.
(b) 2000 कि.मी.
(c) 2500 कि.मी.
(d) 1000 कि.मी.

► (c) 2500 कि.मी.

9. किसी क्षेत्र विशेष में बहुत सारे पेड़ लगाकर ,वन क्षेत्र विकसित करने की क्रिया को क्या कहा जाएगा ?
(a) वन्य
(b) वनोंरोपण
(c) वनीकरण
(d) पर्यावरण

► (c) वनीकरण

10. भारत का कितना भू -भाग वनों से ढका होना चाहिए ?
(a) 20%
(b) 25%
(c) 33%
(d) 34%

► (c) 33%

11. असंदूषित जल का pH मान क्या होगा ?
(a) 2
(b) 5
(c) 7
(d) 9

► (c) 7

12. कौन सा भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान सन 1935 में स्थापित किया गया था ?
(a) राजा जी राष्ट्रीय उद्यान
(b) जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
(c) रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान
(d) गिर राष्ट्रीय उद्यान

► (b) जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान

13. कौन सा भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान सन 1935 में स्थापित किया गया था ?
(a) राजा जी राष्ट्रीय उद्यान
(b) जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
(c) रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान
(d) गिर राष्ट्रीय उद्यान

► (b) जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान

14. 1970 में चिपको आंदोलन,की शुरुआत गढ़वाल (उतराखंड) के किस गाँव से हुई ?
(a) श्री नगर
(b) टिहरी
(c) ऋषिकेश
(d) रेनी

► (d) रेनी

15. चंडीगढ़ में स्थित पक्षी विहार कहाँ है ?
(a) छत बीड़
(b) रोज गईन
(c) सुखना झील
(d) लेजर वैली

► (c) सुखना झील

16. कूल्हों के द्वारा नहरी सिंचाई व्यवस्था किस प्रदेश में हैं ?
(a) पंजाब
(b) तमिलनाडु
(c) गुजरात
(d) हिमाचल प्रदेश

► (d) हिमाचल प्रदेश

17. ‘चिपको आंदोलन’ का नेतृत्व किसने किया ?
(a) सुंदर लाल बहुगुणा
(b) हेमवती नंदन बहुगुणा
(c) मेघा पाटकर
(d) अरुणधती रॉय

► (a) सुंदर लाल बहुगुणा

18. इंदिरा गाँधी नहर के कारण किस प्रदेश में हरियाली आई है ?
(a) गुजरात
(b) पंजाब
(c) राजस्थान
(d) हरियाणा

► (c) राजस्थान


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